A Wink of Wisdom

Dose of wisdom for all

Menu
  • Home
  • About
  • Contact Me
Menu

पुस्तक समीक्षा – गौरवि सैनी की बेमतलब की बातें

Posted on July 10, 2016 by Namrata Kumari

Bematlab ki baatein, Gauravi Saini, Hindi book of poetry, hindi poems, poems, hindi poetहम मनुष्य हैं। गंभीर व महत्वपूर्ण बातों के कायल। बेमतलब की बातों में हम कहाँ अपना वक़्त गवाते हैं। दिमाग में ये छोटी-बड़ी बेमतलब की बातों का साम्राज्य ही क्यों न बसा हो, हम अपनी बातों को जटिलता के परतों में लपेटे फ़िरते हैं।

पर सच कहिए तो इन बेमतलब की बातों में ही जीवन का गूढ छिपा है। इनमें भोले-भाले मन की सच्ची और सरल बातें होती हैं। इनके भाव को समझ पाना सच्ची परिपक्वता का परिचायक है।

पंद्रह बेहद रोचक कविताओं के संग्रह को कवयित्री गौरवि सैनी ने ‘बेमतलब की बातें’ नाम दिया है। किताब के अंत में उन्होने बताया है कि कुछ बातें उनके मन पर गहरा असर छोड़ जाती हैं। उन्हीं सौ में से पंद्रह बातों का समागम है यह किताब जिसकी हर कविता अपने आप में एक कथा है।

गौरवि की एक नहीं बल्कि पंद्रह की पंद्रह कवितायें मेरे दिल को छू गयी, कुछ अपनी सी लगी। कुछ बातें तो ऐसी भी थी जिन्हें पढ़ कर लगा मानो मेरी सोच को किसी ने अपने शब्दों में सजाया हो। इतनी सहज और सरल होने के बावजूद बड़ी पते की हैं ये बेमतलब की बातें।

अब किताब से ली गयी इन पंक्तियों को ही ले लीजिये। ये ख़याल हर युवा मन को अपने से जान पड़ते होंगे –

बस अपनी धुन में गुम,
मन ही मन बेबुनियादी
विवाद करा करते थे
हम।
संवाद करना तो सीखा ही नहीं था।
पर फ़िर न जाने एक
सुबह ख़ुद में एक बदलाव देखा।
देखा की
बिना सोचे समझे,
कुछ कर चुके थे हम।
यक़ीन नहीं हुआ।
बिना टोले-मोले,
बिना गहराइयों को टटोले,
आखिर कैसे आगे बढ़ गए थे
हम?

–    ऐसे न थे पहले हम

या फिर इन पंक्तियों को ही ले लीजिये। ये मुझे हाल ही में घटे एक घटना की और उससे मिली सीख की याद दिलाते हैं –

मैंने तो ये सोचा, कि
सभी ख़ुश हैं मुझसे।
कभी किसी की नाराज़गी नज़र ही नहीं आई।
…
मुझे क्या पता था,
इतनी शिकायतें होंगी (उनपे) मेरी, कि
कलम की स्याही ख़त्म, पर
शिकायतें ख़त्म नहीं हुई उनकी
अच्छा ही हुआ कि
आँखें बंद थी मेरी।

–    आँखें बंद हैं मेरी

अगर कम और सीधे शब्दों में कहूँ तो ये बेमतलब की बातें हम सबके मन की बातें हैं। और कवितायें तो चीज़ ही ऐसी हैं जो कम शब्दों में सहस्त्र कहानियाँ कह जाए। तो अगर आप भी कम समय में इन सीधी सच्ची दिल से निकली बेमतलब कि बातों में ख़ुद को ढूँढने का लुत्फ़ उठाना चाहते हैं तो इस किताब को ज़रूर पढ़ें।

इस पुस्तक को मैं पाँच में से चार अंक देती हूँ।

बेमतलब की बातें आप इस लिंक से डाऊनलोड कर सकते हैं।

0 thoughts on “पुस्तक समीक्षा – गौरवि सैनी की बेमतलब की बातें”

  1. Pingback: Blogchatter Ebook Carnival | Blog Chatter
  2. Pingback: Blogchatter Ebook Carnival | Blogchatter®

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Categories

  • Productivity (4)
  • Random (58)

Archive

  • January 2018 (1)
  • July 2017 (1)
  • April 2017 (1)
  • July 2016 (3)
  • June 2016 (1)
  • May 2016 (2)
  • March 2016 (2)
  • November 2015 (2)
  • October 2015 (3)
  • September 2015 (3)
  • July 2015 (3)
  • June 2015 (8)
  • May 2015 (1)
  • April 2015 (4)
  • March 2015 (6)
  • February 2015 (1)
  • January 2015 (5)
  • October 2014 (1)
  • July 2014 (4)
  • June 2014 (3)
  • May 2014 (3)
  • April 2014 (8)
  • March 2014 (7)
  • February 2014 (2)
  • January 2014 (3)
  • December 2013 (2)
  • November 2013 (5)
  • October 2013 (5)
  • September 2013 (1)
  • July 2013 (1)
  • June 2013 (2)
  • May 2013 (1)
  • April 2013 (1)
  • March 2013 (1)
  • January 2013 (2)
  • December 2012 (3)
  • November 2012 (3)
  • October 2012 (2)
  • September 2012 (2)
  • August 2012 (3)
  • July 2012 (2)
  • June 2012 (1)
  • May 2012 (1)
  • April 2012 (1)
  • March 2012 (1)
  • February 2012 (2)
  • January 2012 (2)

Poetry

Find me here

  • Instagram
  • Twitter
  • Facebook

Contact Me

  • mail@namratakumari.com

“And now here is my secret, a very simple secret: It is only with the heart that one can see rightly; what is essential is invisible to the eye.”

© 2021 A Wink of Wisdom | Theme by Superb WordPress Themes